Sunday 25 April 2021

जीने की आदत



जगा देती है नयी उम्मीद 
किसी बात पर नयी सी जिद्द 
छिपी इच्छा पे कोई व्रत 
जिससे हिल जाए कोई पर्वत 
नए संकल्प नया साल 
रंग लाता है कोई कमाल

काँच के गिलास में निम्बू पानी 
बड़ी ज़ालिम चीज़ है जानी 
थोड़ी शर्म और कुछ कुछ मुस्कान 
कभी मीठी, तिर्छी, तेज़ ज़बान 
अगली गली के उस नुक्कड़ 
कच्ची सुपारी, बनारसी पान 
अगर तुम्हारे पास पड़ा हो,
तो लौटा दो, मेरा कुछ समान 

किताबो में सूखे फूल 
बीते वक्त की कोई भूल 
थोड़ी अठन्नी बाकी चवन्नी 
और मिले मिलाये उसूल 
नया लिबास, नवेले भेस 
हल्की-सी पत्थर की ठेस 
कही आगरे का ताज महल 
और इण्डिया गेट की पहल 

कही सिफारिश कही खुशामद 
थोड़ा जहन्नुम, जरा सी जन्नत 
जो यही कही था, आज नहीं 
बड़ी बेरहम सी हरकत 
ये जो है ज़िन्दगी 
और यही जीने की आदत |